अब तो ये भी होने लगा है हम में उन में बात नहीं दुनिया वाले पूछते हैं क्या पहले से हालात नहीं एक अगर हो इश्क़ की बाज़ी तो फिर कोई बात नहीं कौन सा ऐसा खेल है जिस में हम ने खाई मात नहीं आँख से आँसू बन के बहें जो ऐसे सब जज़्बात नहीं दिल का ज़ख़्म छुपा के जीना सब के बस की बात नहीं दिन तो दिन है तेरे बिन अब रात की भी औक़ात नहीं तुम मिल जाओ और सब बाज़ी हारें भी तो मात नहीं 'ज़ाहिद' की ये सारी क़नाअ'त क्या तेरी सौग़ात नहीं थोड़ी पी कर ज़ियादा बहके ऐसी उस की ज़ात नहीं