अब उन पे मेरी आह का होगा असर कहाँ क्या हाल है मिरा उन्हें इस की ख़बर कहाँ अब उन के दिल में हम से फ़क़ीरों का घर कहाँ बस देखिए के फिरते हैं हम दर-ब-दर कहाँ इक मुश्किलों की धूप से मेरा है सामना आसानियों का राह में कोई शजर कहाँ मुद्दत हुई के ईद मयस्सर नहीं हमें आया है चाँद हम को हमारा नज़र कहाँ बस ऐ तबीब नुस्ख़ा-ए-दीदार लिख मुझे इन मरहमों से भरता है ज़ख़्म-ए-जिगर कहाँ हर आन नफ़रतों का है पहरा गली गली अब हम करें तलाश मोहब्बत-नगर कहाँ हर मोड़ पर है एक मुसीबत से सामना अब जाने ख़त्म होगा मिरा ये सफ़र कहाँ तारीक हो चुकी यहाँ 'हैदर' की ज़िंदगी उस को नसीब इश्क़ के शम्स-ओ-क़मर कहाँ