अब वहाँ चल कर रहें ऐ दिल जहाँ कोई न हो हम हों और वो हों हमारे दरमियाँ कोई न हो इश्क़ है वो इश्क़ रुस्वाई हो जिस के साथ साथ इश्क़ वो क्या इश्क़ जिस की दास्ताँ कोई न हो मैं भी दिल वालों की बर्बादी से वाक़िफ़ हूँ मगर मेरी सूरत यूसुफ़-ए-बे-कारवाँ कोई न हो मेहरबाँ हो जाए इक आलम हमारे हाल पर आप जैसा दुश्मन-ए-दिल मेहरबाँ कोई न हो आप भी हर शख़्स को समझें अगर अपना 'अज़ीज़' आप से भी बे-सबब दामन-कशाँ कोई न हो