हम बैठे हैं आस लगाए उस की मर्ज़ी आए न आए कैसा ख़्वाब और नींद कहाँ की मुद्दत हो गई आँख लगाए मेरा पता न देना उस को वो जब मुझ को ढूँडने आए उस का बर्फ़ सा चरने मन में इक अनजानी आग लगाए जिस रस्ते भी जाएँ मोहब्बत राह में बैठी घात लगाए कौन भला आज़माए किसी को कौन भला अब दिया बुझाए ख़ुशियाँ पल दो पल की साथी ग़म ही हमेशा साथ निभाए अब तो आ जा देर हुई है देख ज़रा तो शाम के साए