अब वो सीना है मज़ार-ए-आरज़ू By Ghazal << अपनी बहार पे हँसने वालो क... आरज़ू को रूह में ग़म बन क... >> अब वो सीना है मज़ार-ए-आरज़ू था जो इक दिन शोला-ज़ार-ए-आरज़ू अब तक आँखों से टपकता है लहू बुझ गया था दिल में ख़ार-ए-आरज़ू रंग ओ बू में डूबे रहते थे हवास हाए क्या शय थी बहार-ए-आरज़ू Share on: