आरज़ू को रूह में ग़म बन के रहना आ गया सहते सहते हम को आख़िर रंज सहना आ गया दिल का ख़ूँ आँखों में खिंच आया चलो अच्छा हुआ मेरी आँखों को मिरा अहवाल कहना आ गया सहल हो जाएगी मुश्किल ज़ब्त सोज़ ओ साज़ की ख़ून-ए-दिल को आँख से जिस रोज़ बहना आ गया मैं किसी से अपने दिल की बात कह सकता न था अब सुख़न की आड़ में क्या कुछ न कहना आ गया जब से मुँह को लग गई 'अख़्तर' मोहब्बत की शराब बे-पिए आठों पहर मदहोश रहना आ गया