ज़ीस्त की तल्ख़ियाँ मआ'ज़-अल्लाह इश्क़ की गर्मियाँ मआ'ज़-अल्लाह हम ने सब कुछ लुटाया उल्फ़त में फ़िक्र-ए-सूद-ओ-ज़ियाँ मआ'ज़-अल्लाह यूरिश-ए-ग़म से रह गईं दब कर दिल की सरमस्तियाँ मआ'ज़-अल्लाह दोस्ती और रब्त है ग़म से अपनी दिलचस्पियाँ मआ'ज़-अल्लाह हुई ता'मीर बाइ'स-ए-तख़रीब बस गईं बस्तियाँ मआ'ज़-अल्लाह