आँख पर ए'तिबार हो जाए दिल को गर तुम से प्यार हो जाए मौत बा-ए'तिबार हो जाए ज़िंदगी शरह-दार हो जाए तुम को मिल जाएगा सुकूँ शायद दिल अगर बे-क़रार हो जाए हारने वाले है दुआ मेरी मेरी हर जीत हार हो जाए मौत इस को न क्यूँ गवारा हो ज़िंदगी जिस पे बार हो जाए जिस को निस्बत तुम्हारे नाम से हो वो ग़ज़ल पुर-वक़ार हो जाए तेरी नज़रों से जब गिरे 'तरज़ी' अपनी नज़रों में ख़ार हो जाए