अभी बादलों का सफ़र कहाँ मिरे मेहरबाँ अभी क़ैद हूँ सर-ओ-आशियाँ मिरे मेहरबाँ रहे फ़ासले मिरी दस्तरस में तमाम दिन मगर अब तो शाम का है समाँ मिरे मेहरबाँ सभी पुर्सिश-ए-ग़म-ए-जाँ के वास्ते आए थे मिरे चारागर मिरे नौहा-ख़्वाँ मिरे मेहरबाँ वही लफ़्ज़ हैं दुर्र-ए-बे-बहा मिरे वास्ते जिन्हें छू गई हो तिरी ज़बाँ मिरे मेहरबाँ सभी मरहले रह-ए-शौक़ के थे निगाह में मिरे हौसले रहे ना-तवाँ मिरे मेहरबाँ कभी गर्दिश-ए-शब-ओ-रोज़ से न अमाँ मिली मिरे सर पे कब न था आसमाँ मिरे मेहरबाँ