अभी दर्द-ए-दिल में कमी कहाँ अभी चारागर की तलाश है मिरी ज़िंदगी है वो शाम-ए-ग़म कि जिसे सहर की तलाश है यही शौक़ है यही मुद्दआ' यही इल्तिजा यही आरज़ू मिरी ज़िंदगी जो सँवार दे मुझे उस नज़र की तलाश है मुझे रह-गुज़ार-ए-हयात में पए-रहबरी पए-बंदगी तिरे नक़्श-ए-पा की तलाश है तिरे संग-ए-दर की तलाश है जो भटक रहा है दिल-ए-हज़ीं रह-ए-आशिक़ी में इधर-उधर किसी राहबर की तलाश है किसी हम-सफ़र की तलाश है वो ग़ज़ल को सुन के 'रियाज़' की यही आह कह के गुज़र गए किसी दिल-जले की है दास्ताँ किसी नौहागर की तलाश है