अभी मोहब्बत की इब्तिदा है दिलों के अरमाँ निकल रहे हैं अभी है आग़ाज़ मस्तियों का शराब के दौर चल रहे हैं अजीब बरसात का समाँ है नज़र को हर वक़्त ये गुमाँ है कि हुस्न अंगड़ाई ले रहा है हसीन कपड़े बदल रहे हैं अभी जवानी पे हैं उमंगें दिलों में हैं सैंकड़ों तरंगें जो दो चराग़ आज बुझ रहे हैं तो दस चराग़ और जल रहे हैं क़दम क़दम पर था ख़ौफ़-ए-तूफ़ाँ जगह जगह था फ़ना का सामाँ मगर रहे इश्क़ तेरी हिम्मत मिरे इरादे अटल रहे हैं सुलग रहे हैं अभी हमारे दिलों के आतिश-कदे मुसलसल जला चुके थे अभी जो हम को अब उन की बारी है जल रहे हैं नहीं ज़माने से कोई शिकवा हमें गिला है तो सिर्फ़ ये है तिरी नज़र में भी हम ब-रंग-ए-शिकायत-ए-बे-महल रहे हैं हुई सहर ख़त्म पर है महफ़िल उठो कि 'अफ़सर' उचाट है दिल न हुस्न में अब वो दिलकशी है न ज़ुल्फ़ में अब वो हल रहे हैं