अभी तो इतना अंधेरा नज़र नहीं आता तो साथ क्यों मेरा साया नज़र नहीं आता इन आँखों से ये ज़माना तो देख सकता हूँ बस एक अपना ही चेहरा नज़र नहीं आता जब एक अंधा अंधेरे में देख लेता है मुझे उजालों में क्या क्या नज़र नहीं आता बंधी यक़ीन की पट्टी हमारी आँखों पर सो छल फ़रेब या धोका नज़र नहीं आता जो दिख रहे हैं वो चाबी के सब खिलौने हैं यहाँ तो कोई भी ज़िंदा नज़र नहीं आता तराशे बुत की तो तारीफ़ सभी करते पर हमारे हाथ का छाला नज़र नहीं आता अभी तो फैली यहाँ धुंध इतनी नफ़रत की किसी को प्यार का रस्ता नज़र नहीं आता 'अनीस' यूँ तो हज़ारों से रोज़ मिलता हूँ मगर मुझे कोई तुम सा नज़र नहीं आता