अब्र आया है ख़ुमार आया है चेहरा-ए-गुल पे निखार आया है जब कहीं ज़िक्र-ए-बहार आया है झूमता बादा-गुसार आया है सर-ब-कफ़ आज ग़ज़ाल आते हैं कौन याँ बहर-ए-शिकार आया है न मिला महमिल-ए-लैला का सुराग़ क़ैस हर सम्त पुकार आया है औज पर है दिल-ए-नादाँ का नसीब उस पे आज उन को भी प्यार आया है कह रहे हैं वो ख़ुदा ख़ैर करे हम पे तो होता निसार आया है जब शगूफ़ा कोई गुलशन में खिला सामने जल्वा-ए-यार आया है लुटा सब्र और सुकूँ फिर 'नज़मी' जब ज़रा दिल को क़रार आया है