अचानक ऐसे जल-थल हो गए क्यूँ कि सहरा सारे जंगल हो गए क्यूँ क़दम इस तरह से शल हो गए क्यूँ सहारे इतने बोझल हो गए क्यूँ नहीं तख़फ़ीफ़ इन में इक ज़रा सी ये ग़म इतने मुसलसल हो गए क्यूँ तिरी क़ुर्बत के वो सारे ज़माने सिमट कर एक ही पल हो गए क्यूँ उन्हें इतने दिनों के बा'द देखा ख़ुशी में फिर ये बे-कल हो गए क्यूँ