अच्छी निभी बुतान-ए-सितम-आश्ना के साथ अब बा'द-ए-मर्ग देखिए क्या हो ख़ुदा के साथ जब से वो सुन चुके हैं कि हम ख़्वाब में चले नीची निगाह भी नहीं करते हया के साथ यूँ गुमरहान-ए-इ'श्क़ हैं रहज़न के साथ ख़ुश गोया कि हो लिए हैं किसी रहनुमा के साथ मांगों दुआ-ए-मर्ग तो आमीं कहे अदू अब उन की बद-दुआ' है मिरे मुद्दआ' के साथ यूँ कहते हैं कि तुझ को सताए ही जाएँगे गोया कि मुझ को इश्क़ है अपनी वफ़ा के साथ ग़ैरों ने बे-दिली से मिरी पाए मुद्दआ' मैं गुम हुआ न क्यूँ दिल-ए-हसरत-फ़ज़ा के साथ शर्मिंदा-ए-बुताँ न हुए लाख लाख शुक्र 'सालिक' ख़ुदा ने हम को उठाया वफ़ा के साथ