अब तो लब से न जाएगा आगे नाले का ज़ोर शोर था आगे दश्त-ए-उलफ़त में रहनुमा कैसा मैं ने रहबर को धर लिया आगे दश्त-ए-उल्फ़त है गरचे दूर वले दिल से कहता हूँ ये रहा आगे बेवफ़ाई अगर न करती उम्र हम दिखाते तुम्हें वफ़ा आगे वो ख़ुशामद ही में गए घबरा मुझ को कहना था मुद्दआ आगे देखना जो न था सो देख लिया देखिए देखते हैं क्या आगे इश्क़ में दे के जाँ हुई ये ख़बर आ गया कुछ दिया लिया आगे सब्र-ओ-होश-ओ-ख़िरद गए दिल से मेरी आँखों के घर लुटा आगे मर्ग-ए-आशिक़ की सुन के सब रूदाद पूछते हैं कि क्या हुआ आगे 'सालिक' और मय-कशी ख़ुदा की पनाह किस क़दर था ये पारसा आगे