अदाओं में उन की वफ़ा माँगता हूँ ख़ुदा से यही इक दुआ माँगता हूँ तिरी ज़ात में अब समोना है ख़ुद को मैं तेरा तसव्वुर सदा माँगता हूँ फ़ज़ा को मोअ'त्तर बनाना है मुझ को तिरे गेसुओं की हवा माँगता हूँ अज़ल से अबद तक है इंसाँ परेशाँ रहे मुतमइन ये दुआ माँगता हूँ 'नज़र' को कफ़न की ज़रूरत नहीं है तुम्हारे करम की रिदा माँगता हूँ