अदा-ए-हुस्न की हुस्न-ए-अदा की बात होती है वफ़ा की आज़माइश पर जफ़ा की बात होती है ये कैसा दौर-दौरा है क़लम-रू-ए-मोहब्बत में बुतों का हुक्म चलता है ख़ुदा की बात होती है कोई गुंजाइश-ए-फ़र्याद-ओ-शिकवा तक नहीं बाक़ी ख़ता-ए-बे-गुनाही पर सज़ा की बात होती है भर आता है दिल-ए-महरूम-ए-पुर्सिश दर्द-मंदी से कहीं भी जब किसी दर्द-आश्ना की बात होती है फिर उस के बा'द काम आता है जज़्बा डूब मरने का तलातुम तक ख़ुदा-ओ-नाख़ुदा की बात होती है दुआओं के भरोसे पर बिगड़ते काम बनते हैं दवा बे-सूद ठहरे तो दुआ की बात होती है 'रिशी' क़ानून-ए-क़ुदरत है अमल-दारी तग़य्युर की मक़ाम-ए-इंतिहा पर इब्तिदा की बात होती है