मुझे प्यार से तिरा देखना मुझे छुप छुपा के वो देखना मिरा सोया जज़्बा उभारना तुम्हें याद हो कि न याद हो रह-ओ-रस्म क़ल्ब ओ निगाह के वो तुम्हारे दावे निबाह के वो हमारा शेख़ी बघारना तुम्हें याद हो कि न याद हो वो हमारी छेड़ वो शोख़ियाँ वो हमारा काटना चुटकियाँ वो तुम्हारा कुहनी का मारना तुम्हें याद हो कि न याद हो कभी सर्द आहों के सिलसिले कभी ठंडी साँसों के मश्ग़ले वो हमारी नक़लें उतारना तुम्हें याद हो कि न याद हो वो तुम्हारा शाएर-ए-ख़ुश-नवा जिसे लोग कहने लगे 'फ़ना' वो 'निसार' कह के पुकारना तुम्हें याद हो कि न याद हो