अधूरा अपनी ही ज़िंदगी का हिसाब ठहरा जो चाहे पढ़ ले हमारा चेहरा किताब ठहरा सुना था कानों से जो भी उस ने वो सब हक़ीक़त हमारी आँखों ने जो भी देखा वो ख़्वाब ठहरा इकट्ठा ज़र कर लिया है उस ने भी अपने घर में रज़ील जितना था उतना इज़्ज़त-मआब ठहरा सुना है मैं ने वो शख़्स भी बन गया है अच्छा मिलूँगा कैसे कि मैं तो आख़िर ख़राब ठहरा ग़रीब हर कोई नाचता है उन्हीं की धुन पर ये दस्त-ए-अहल-ए-अरब में कैसा रबाब ठहरा किया है एहसान मौत ने दी नजात मुझ को शिकायतों का भी ख़त्म 'सैफ़ी' लो बाब ठहरा