बरसर-ए-रोज़गार थे पहले हम भी यारों के यार थे पहले आज ये ज़ीस्त हम पे बार सही ज़ीस्त पर हम भी बार थे पहले आज हम वक़्त को पुकारते हैं वक़्त की हम पुकार थे पहले आओ अब उन की छाँव भी ढूँडें जो शजर साया-दार थे पहले गो कि ख़ुशियाँ हैं बे-शुमार मगर ग़म बहुत ख़ुश-गवार थे पहले