अदू फिर वार करना चाहता है गुलों को ख़ार करना चाहता है ज़रा कच्चे घड़े का अज़्म देखो समुंदर पार करना चाहता है मिरी तहज़ीब की टहनी जला कर मुझे तलवार करना चाहता है समझ के पढ़ कलाम-ए-आसमानी ये कुछ इज़हार करना चाहता है वो मेरी रौशनी की सल्तनत को अँधेरी ग़ार करना चाहता है जो सच पूछो तो दिल की बात कह दूँ ये तुम से प्यार करना चाहता है