अगर देना हो दिल की दाद जितना उस का जी चाहे तो करने दो उसे फ़रियाद जितना उस का जी चाहे मिली हैं यार की गलियाँ हमें मजनूँ से ये कहियो करे वीराने को आबाद जितना उस का जी चाहे नहीं मुमकिन कि हम काबा को जाएँ छोड़ बुत-ख़ाना करे वाइज़ हमें इरशाद जितना उस का जी चाहे वफ़ा का तौक़ है क़ुमरी-सिफ़त जुज़्व-ए-बदन मेरा करे जौर-ओ-सितम सय्याद जितना उस का जी चाहे 'यक़ीं' मुझ बिन नहीं है क़द्र-दाँ कोई मुसीबत का फ़लक मुझ पर करे बेदाद जितना उस का जी चाहे