दिल ख़्वाब में ये देख के ग़मगीन रहा है मैं तेरा हूँ और कोई मुझे छीन रहा है फिर तू मिरे दिल को मिला ईमान की सूरत बरसों मिरा दिल काफ़िर-ओ-बे-दीन रहा है ता-उम्र वही शख़्स रहा जी की जलन भी ता-उम्र वही बाइ'स-ए-तस्कीन रहा है उस शख़्स से अलगाव मुझे कुफ़्र है लोगो ईमान रहा है वो मिरा दीन रहा है ऐ दिल न मुआ'फ़ी न कोई रहम की उम्मीद इस बार तिरा जुर्म ही संगीन रहा है