अगर हो दीवार-ओ-दर सलामत तो घर सलामत हो घर की बुनियाद गर सलामत तो घर सलामत गुज़र अँधेरों का होने पाए कभी मकाँ में हो शम्अ' जब ताक़ पर सलामत तो घर सलामत न चोरों का डर न कोई ख़तरा हो डाकुओं का अगर हो मज़बूत दर सलामत तो घर सलामत है घर की रौनक़ तो बाल बच्चों के शोर-ओ-ग़ुल से हो जिन के नूर-ए-नज़र सलामत तो घर सलामत न बे-घरी का ख़याल 'मेराज' दिल में आए हों सर-परस्तों के सर सलामत तो घर सलामत