अगर इज़्ज़त मिले तो सर तकब्बुर से उठाना मत किसी की ख़ाक को तुम अपने पैरों से उड़ाना मत ये नफ़रत भी मोहब्बत का पुराना रूप लगती है मोहब्बत रूप बदले तो कभी धोके में आना मत अगर ये बन गया तो फिर तुम्हें ही बाँट खाएगा जो दरिया इश्क़ का है उस पे कोई घर बनाना मत बुज़ुर्गों ने कहा है ये हमेशा झुक के चलना तुम मगर मजनूँ ये कहता हे कभी सर को झुकाना मत ये परदेसी यहाँ पर मुद्दतों के बाद आए हैं मोहब्बत से इन्हें मिलना कभी इन को सताना मत मोहब्बत की वो तख़्ती जिस पे अपने नाम लिक्खे थे इसे रखना मुक़द्दम तुम कभी इस को मिटाना मत मोहब्बत फ़र्ज़ है और तुम भी पूरा फ़र्ज़ कर लेना दिया है ये मज़ारों का कभी इस को बुझाना मत विरासत में मिरा हिस्सा भले भाई तू रख लेना अमानत है ये पुरखों की कभी इस को गँवाना मत इसी गाँव की मिट्टी से मिला है हम को ये रुत्बा कभी शहरों में अपना घर मिरे बेटे बसाना मत दुआ जैसा असर होता है 'नासिर' बद-दुआ' में भी किसी सूरत भी दुनिया में किसी का दिल दुखाना मत