अगर तुझ से हूँ तो फिर और क्या हूँ मैं किस जैसा हूँ किस किस से जुदा हूँ मुझे मा'लूम है कितना बुरा हूँ ये क्या कम है कि अपना आइना हूँ कोई दीवार सी टूटी है शायद मैं अंदर ही कहीं गिरने लगा हूँ कभी तो सामने आऊँगा अपने कि अपनी राह में कब से खड़ा हूँ मुझे एहसास ने घेरा हुआ है मैं अपने-आप अपना दायरा हूँ ये मेरा हाथ किस के हाथ में है ये किस के पाँव हैं जिन पर खड़ा हूँ मिरे अल्फ़ाज़ पत्थर हो गए हैं मैं अपने हाथ से ज़ख़्मी हुआ हूँ ख़ुद अपने-आप को आवाज़ दे कर न जाने 'अश्क' किस को ढूँढता हूँ