अगर वो ख़ूबसूरत है भली है हमारी रूह भी तो संदली है अभी रफ़्तार पकड़ेगी मोहब्बत अभी तो वो दबे पैरों चली है यक़ीनन आ गए हैं बज़्म में वो नहीं तो इस क़दर क्यों खलबली है दुआ फिर ग़ैब से माँ ने हमें दी हमारी इक मुसीबत फिर टली है दिखावा है महज़ शाइस्तगी ये तुम्हारी जब नज़र ही मंचली है अभी मुँह फेर लेना ऐ क़ज़ा तू ब-मुश्किल ज़िंदगी फूली फली है मयस्सर है सभी कुछ ज़िंदगी में कमी पर आप की बे-हद खली है