अगर ये दिल मचल जाता हमारा तो सारा जिस्म जल जाता हमारा नज़र भर कर तुम्हें गर देख लेते यक़ीनन दम निकल जाता हमारा तो ये क्या तुम तब भी उतना प्यार करते अगर ये हुस्न ढल जाता हमारा कभी तुम साथ में होते नहीं तो हमें भी साथ खल जाता हमारा नमाज़-ए-इश्क़ कैसे पूरी होती अगर क़िबला बदल जाता हमारा अता कर देते तुम थोड़ी जो मोहलत पता हम को भी चल जाता हमारा मनाने की हमें करते तो कोशिश न कैसे दिल पिघल जाता हमारा