अहद-ए-वफ़ा का क़र्ज़ अदा कर दिया गया महरूमियों का दर्द अता कर दिया गया फूलों के दाग़-हा-ए-फ़रोज़ाँ को देख कर अर्ज़ां कुछ और रंग-ए-हिना कर दिया गया वारफ़्तगान-ए-शौक़ का शिकवा सुने बग़ैर गुलशन सुपुर्द-ए-अहल-ए-जफ़ा कर दिया गया दिल से उमंग लब से दुआ छीन ली गई कहने को क़ैदियों को रिहा कर दिया गया यक-दो-नफ़स भी कार-ए-ज़ियाँ हम न कर सके ख़ुशबू को पैरहन से जुदा कर दिया गया माँगी थी आफ़ियत की दुआ आगही का ग़म पहले से भी कुछ और सिवा कर दिया गया 'अख़्तर' हवस-गरान-ए-अक़ीदत के फ़ैज़ से सब कुछ रवा ब-नाम-ए-ख़ुदा कर दिया गया