एहसास-ए-आशिक़ी ने बेगाना कर दिया है यूँ भी किसी ने अक्सर दीवाना कर दिया है अब क्या उमीद रक्खूँ ऐ हुस्न-ए-यार तुझ से तू ने तो मुस्कुरा कर दीवाना कर दिया है तुझ से ख़ुदा ही समझे तू ने किसी को ऐ दिल मुझ से भी कुछ ज़ियादा दीवाना कर दिया है फिर उस के देखने को आँखें तरस रही हैं यादश ब-ख़ैर जिस ने दीवाना कर दिया है मुझ को जुनूँ से अपने शिकवा जो है तो ये है मेरी मोहब्बतों को अफ़्साना कर दिया है ऐ हुस्न-ए-रोज़ अफ़्ज़ूँ उमरत दराज़ बाद दोनों जहाँ से मुझ को बेगाना कर दिया है जब दिल में आ गया है इक जुम्बिश-ए-नज़र ने दीवाना कह दिया दीवाना कर दिया है मुझ से ही पूछते हैं ये शोख़ियाँ तो देखो मेरे 'जिगर' को किस ने दीवाना कर दिया है