ऐ दिल-ए-नादाँ न कोई तू सुनहरे ख़्वाब देख बंद होता जा रहा है अब वफ़ा का बाब देख उन के आने की ख़बर बाद-ए-सबा ले आई है हो रहा है दिल मिरा बेताब पे बेताब देख चाँद के जल्वे भी तुझ को आएँगे फीके नज़र इक नज़र पहले तू उस का चेहरा-ए-ज़रताब देख क्या ज़रा सा वक़्त बदला सब ने आँखें फेर लीं बेबसी पर मुस्कुराते हैं मिरे अहबाब देख भूक कहती है कि कर ले और थोड़ी कोशिशें और थकन कहती है चल अब चल के कोई ख़्वाब देख किस क़दर करने लगे अहल-ए-ख़िरद नादानियाँ वो बदल बैठे हैं अपना हुलिया-ए-आदाब देख अब तो साहिल भी नज़र आता नहीं है दूर तक बच निकलने के 'हिरा' मंझदार से अस्बाब देख