ख़ुश-बख़्तियों के दिल-नशीं आ'साब तुम तो हो हुस्न-ए-करम के पैकर-ए-ज़रताब तुम तो हो फैली हुई हैं फ़िक्र की किरनों की शोख़ियाँ चर्ख़-ए-जमाल-ओ-हुस्न के महताब तुम तो हो सोचों के रतजगों पे है ग़ाज़ा बहार का रानाइयों की वादी-ए-शादाब तुम तो हो साज़-ओ-सुरोद-ए-इश्क़ के बजते हैं तार तार तन्हाइयों में दर्द की मिज़राब तुम तो हो ताज़ा हैं तेरी याद से साँसों के सिलसिले इन सिलसिलों की मौज-ए-समर-याब तुम तो हो हर तल्ख़ी-ए-हयात का ज़हराब पी गए जिस पर जिए हलावत-ए-नायाब तुम तो हो रुस्वाइयों के देस में बिकते रहे ज़मीर नामूस-ए-क़ौम ख़ित्ता-ए-पंजाब तुम तो हो पिघला सकी न इबरत-ओ-ग़ैरत की आँच कुछ उफ़ मुंजमिद से सूरत-ए-बर्फ़ाब तुम तो हो बरबत को थाम दिल को पकड़ कर सुकूँ से बैठ महफ़िल में 'ऐन' वाक़िफ़-ए-आदाब तुम तो हो