ऐसा लगता है समझदार है दुनिया सारी मैं हूँ इस पार तो उस पार है दुनिया सारी इस नई दौड़ में आगे है न पीछे कोई दाम-ए-उजलत में गिरफ़्तार है दुनिया सारी दोस्ती और दिखावे की मोहब्बत करना सब का शेवा है अदाकार है दुनिया सारी क़ाफ़िले दिल के सर-ए-आम हैं लूटे जिस ने उसी रहज़न की तलबगार है दुनिया सारी आप अंदाज़ कुछ अपना तो बदल लेते 'फ़रोग़' चलिए माना कि ख़तावार है दुनिया सारी