अक़्ल की ऐसी ताबेदारी है ख़्वाहिशों में भी इंकिसारी है चल पड़ी है अजल की राहों पर ज़िंदगी बे-ख़बर सवारी है दिल से अपने जो हार जाते हैं सारी दुनिया उन्हीं से हारी है इस मईशत में कामयाबी का राज़ कौन कितना बड़ा जुआरी है दीन समझे हैं जिस को आप 'फ़रोग़' शैख़ जी की दुकान-दारी है