ऐसी निगाह-ए-इश्क़ मिरे दिल पे डाल दे मेरे वजूद को जो मुसलसल जमाल दे जिस से दिखाई दे मुझे हर सम्त तू ही तू या-रब मिरी नज़र में कुछ ऐसा उजाल दे मेरे तसव्वुरात में क़ाबिज़ हो सिर्फ़ तू हर लम्हा ज़ेहन-ओ-दिल में तू अपना ख़याल दे महसूस हिज्र में भी मुझे साथ हो तिरा गर तू विसाल दे तो कुछ ऐसा विसाल दे शिद्दत दे इश्क़ में मुझे ऐसी कि ये जहाँ हर इश्क़ की मिसाल में मेरी मिसाल दे हो तुझ से गुफ़्तुगू मिरी हर नज़्म-ओ-नस्र में मेरे तख़य्युलात में ऐसा कमाल दे सुन तेरी आरज़ू में न भटकूँ मैं इस लिए तू अपने आप को मिरे दिल में बिठाल दे