अजब एहसास से आरी है दुनिया मगर फिर भी बहुत प्यारी है दुनिया नहीं छोड़ेगी जब तक साँस बाक़ी हमारी जान पे भारी है दुनिया कभी सिमटे किसी इक शख़्स में ये कभी अफ़्लाक पे तारी है दुनिया सिकंदर की कभी महबूब है ये कभी मजनूँ की बे-ज़ारी है दुनिया निकल जाओ सलीक़े से यहाँ से इसी नुक़्ते की तय्यारी है दुनिया यही सच है तवील इक नींद में है गुमाँ ये है कि बेदारी है दुनिया तेरी दुनिया की मजबूरी है 'कुंदन' और इस शाइ'र की लाचारी है दुनिया