अजब दरपेश अब के मसअला है वो मेरे ख़्वाब मुझ से माँगता है मुझे उम्मीद तो है ख़त्म होगा दिलों के दरमियाँ जो फ़ासला है लगा दो फिर नया इक ज़ख़्म दिल पर पुराना ज़ख़्म कब का भर चुका है ये दिल मसरूफ़ है कुछ ढूँडने में मगर क्या चीज़ पागल ढूँढता है बहुत कुछ जान कर ख़ामोश रहना मिरा इक सोचा समझा फ़ैसला है चलो ढूँडें कोई इक और दुनिया अब इस दुनिया से दिल उक्ता गया है