अज़ाब-ए-हसरत-ओ-आलाम से निकल जाओ मिरी सहर से मिरी शाम से निकल जाओ बहाना चाहिए घर से कोई निकलने को किसी तलब में किसी काम से निकल जाओ हमारे ख़ाना-ए-दिल में रहो सुकून के साथ निकलना चाहो तो आराम से निकल जाओ ख़ुदा नसीब करे तुम को बे-घरी का मज़ाक़ हिसार-ए-शौक़-ए-दर-ओ-बाम से निकल जाओ सफ़र है शर्त मुसाफ़िर-नवाज़ बहुतेरे किसी तरफ़ भी किसी काम से निकल जाओ निकाल फेंको दिलों से बुतान-ए-बुग़्ज़-ओ-इनाद नहीं तो हल्क़ा-ए-इस्लाम से निकल जाओ