अज़ल की इब्तिदा होने से पहले कहाँ था तू मिरा होने से पहले ये असरार-ए-ज़माँ खुलते नहीं थे हमारा मसअला होने से पहले मिरे दिल में सुकूनत कर रही थी मोहब्बत जा-ब-जा होने से पहले अदा कर ही लिया हम ने बिल-आख़िर वो इक सज्दा क़ज़ा होने से पहले वो लम्हा जो गुज़ारा है तिरे साथ पुराना था नया होने से पहले