अज़िय्यत उस की ज़ेहनी दूर कर दे उसे भी ऐ ख़ुदा मशहूर कर दे इसी में फ़तह का तेरी है इम्काँ मुझे घर में मिरे महसूर कर दे ये चेहरे ये फ़रेब-आलूद चेहरे इन्हें कोई नज़र से दूर कर दे अदब किस का वहाँ आदाब कैसे बनावट दिल में जब नासूर कर दे वही ताज़ीम के लाएक़ है 'अज़हर' जो ख़ुद ताज़ीम पर मजबूर कर दे