अक़्ल के दुश्मन भी हम ठहरे दिल का भी नुक़सान किया ज़ौक़-ए-तलब की आड़ में 'हैरत' नफ़्स ने क्या हैरान किया ख़ल्क़ किया होगा आदम को वाक़ई हज़रत-ए-यज़्दाँ ने लेकिन उस का नाम बताओ जिस ने उसे इंसान किया राम थे मर्यादा पुरुषोत्तम राम की बातें रहने दो और बताओ इस दुनिया में किस ने किस का मान किया हम कुछ भी तो नहीं थे लेकिन आपा यार बुरी शय है पहरों अपनी याद में रोए जब भी तेरा ध्यान किया अब ये तकल्लुफ़ भी दुनिया में लोग कहाँ फ़रमाते हैं तू ने पूछा हाल हमारा यार बड़ा एहसान किया दिल तो इसी ख़ातिर होता है क्या ये तुम्हें मालूम न था 'हैरत' क्यों बर्बादी-ए-दिल पर जी इतना हलकान किया