अक्स घटते बढ़ते हैं शीशागरी है एक सी सोच के अदसे जुदा हैं रौशनी है एक सी ज़िंदगी करते हैं इंसाँ मुख़्तलिफ़ अंदाज़ में गो कि सब की दस्तरस में ज़िंदगी है एक सी दोस्तों और दुश्मनों में किस तरह तफ़रीक़ हो दोस्तों और दुश्मनों की बे-रुख़ी है एक सी सोच का मफ़्लूज होना सानेहे से कम नहीं अन-गिनत शाएर हैं लेकिन शाएरी है एक सी सब दिलों में जा-गुज़ीं हैं ग़म के क़िस्से एक से सब जबीनों पर रक़म बे-रौनक़ी है एक सी 'जान' ये साबित हुआ है तजरबे की आँच पर दुश्मनी है सौ तरह की दोस्ती है एक सी