अक्स पर यूँ आँख डाली जाएगी सामने की चोट ख़ाली जाएगी ये क़यामत भी निकाली जाएगी उस गली से खा के गाली जाएगी का'बे में बोतल खुले मौक़ा कहाँ ज़मज़मी से आज ढाली जाएगी गुल तो क्या हैं ता-क़फ़स ऐ बाद-ए-तुंद पत्ता पत्ता डाली डाली जाएगी बज़्म-ए-साक़ी में अगर लग़्ज़िश हुई हाथ से मय की प्याली जाएगी गुदगुदाने को कफ़-ए-पा दिल के साथ आरज़ू-ए-पाएमाली जाएगी वा दर-ए-तौबा है तो जल्दी है क्या बात बिगड़ी कुछ बना ली जाएगी मुर्दा कोई आरज़ू इस दिल में है कह गए वो जान डाली जाएगी मय-कदे हम घर से जाएँगे 'रियाज़' एक बोतल साथ ख़ाली जाएगी