अक्स सरापा ढूँड रहे हैं एक था चेहरा ढूँड रहे हैं अपनी मंज़िल गुम है लेकिन उस का रस्ता ढूँड रहे हैं एक जहाँ था डूब गया है एक ज़माना ढूँड रहे हैं एक परिंदा क़ैद था उस में ख़ाली पिंजरा ढूँड रहे हैं रोज़ी ने कब पूरा छोड़ा ख़ुद को आधा ढूँड रहे हैं तू बिछड़ा है तुझ को 'आशिक़' लहज़ा लहज़ा ढूँड रहे हैं