अक्स टूटा है बारहा मेरा संग-ए-ख़ारा है आइना मेरा सारी दुनिया मिरी मुख़ालिफ़ है एक बच्चा है हम-नवा मेरा तेज़ बारिश का मैं परिंदा हूँ बादलों में है घोंसला मेरा घर में मेहमाँ हुई है तन्हाई भर गया है बरामदा मेरा दो चराग़ों से रात रौशन है एक तेरा है दूसरा मेरा ऊपर ऊपर से ठीक लगता है ज़ख़्म अंदर से है हरा मेरा पूछ लेना किसी परिंदे से सब को मा'लूम है पता मेरा मेरी तरकीब में है सच्चाई कौन चक्खेगा ज़ाइक़ा मेरा कोने-खुदरे भी ख़ूब रौशन हैं हुजरा-ए-ज़ात है खुला मेरा होने लगती है बात जब ख़ुद से टूट जाता है राब्ता मेरा किसी मंज़िल की याद आते ही चलने लगता है नक़्श-ए-पा मेरा एक परकार के सिमटते ही फैल जाता है दायरा मेरा एक ठोकर से टूट जाएगा जिस्म-ए-फ़ानी है भुरभुरा मेरा तुम ज़मीनों को नापते रहना काएनाती है फ़ासला मेरा थक के वापस चला गया 'नासिर' ऐन मंज़िल से रास्ता मेरा