मौक़ा'-ए-रक़्स न देगी मुझे तक़दीर अभी है मिरे पाँव में हालात की ज़ंजीर अभी फिर जला लेना उजाले की ज़रूरत हो अगर अध-जले घर में तो मौजूद है शहतीर अभी लाव-लश्कर मियाँ रहते मिरे आगे पीछे काश रहती मिरे अज्दाद की जागीर अभी तुम न पहचान सकोगे उसे आसानी से वक़्त की गर्द में गुम है मिरी तस्वीर अभी दर्द के गाँव में बदलाओ 'अलीम' आएगा कर रहा है वो नए दीन की ता'मीर अभी