ए'तिबार-ए-शौक़ इक धोका सही ए'तिबार-ए-शौक़ पर है ज़िंदगी सूनी यादो तुम से पहलू है बसा सूनी यादो तुम से क्या पहलू-तही दिल हुआ छलनी तो नग़्मे छन पड़े बाँस में रौज़न पड़े तो बाँसुरी बे-कसी में भी बड़ा कस-बल है दोस्त मौत क्या है ज़ीस्त को ठुकरा के जी हम ख़ुदा भी मान लेंगे आप को आप पहले हो तो जाएँ आदमी क्या यद-ए-बैज़ा से कम है दाग़-ए-दिल मोजज़ा रखता हूँ 'आमिर'-मूसवी