हर्फ़ में ख़ून-ए-जिगर किस का है हम से पूछो ये हुनर किस का है अजनबी है न शनासा कोई एक साया सा मगर किस का है हिज्र की शब को लहू हम ने दिया अब कहो रंग-ए-सहर किस का है ख़ल्वत-ए-जाँ में है इक हलचल सी उस तरफ़ क़स्द-ए-सफ़र किस का है तू अगर सामने मौजूद नहीं हुस्न ता-हद्द-ए-नज़र किस का है संग ही संग हैं आँगन में 'ज़िया' पस-ए-दीवार शजर किस का है