अंदाज़ बदलने में अभी वक़्त लगेगा

अंदाज़ बदलने में अभी वक़्त लगेगा
पत्थर को पिघलने में अभी वक़्त लगेगा

बे-वक़्त भला रात कहाँ जाएगी आख़िर
सूरज को निकलने में अभी वक़्त लगेगा

है शौक़ टहलने का तो ख़्वाबों में ही टहलो
बाग़ों में टहलने में अभी वक़्त लगेगा

जाते हो निकल कर मिरे कूचे से तो जाओ
इस दिल से निकलने में अभी वक़्त लगेगा

फ़िलहाल ये काफ़ी है कि तुम ख़ुद को बदल लो
दुनिया को बदलने में अभी वक़्त लगेगा

हौले से तिरे दिल में जो ये आग लगी है
शो'लों को मचलने में अभी वक़्त लगेगा


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